प्रेगनेंसी और थायरॉइड: स्वस्थ शिशु के लिए डॉ. गौरी जगदाळे की विशेषज्ञ सलाह

प्रेगनेंसी में थायरॉइड का असर और उससे बचाव की जानकारी डॉ. गौरी जगदाळे से जानें। समय पर जांच और इलाज से स्वस्थ गर्भावस्था संभव है।

Thyroid in Pregnancy | Risks and Treatment Explained

प्रेगनेंसी और थायरॉइड: स्वस्थ शिशु के लिए डॉ. गौरी जगदाळे की विशेषज्ञ सलाह 

प्रेगनेंसी हर महिला के जीवन का एक विशेष और परिवर्तनशील दौर होता है। इस समय हार्मोनल संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है। एक महत्वपूर्ण वीडियो में डॉ. गौरी जगदाळे, कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट व ऑब्स्टेट्रिशियन, उन महिलाओं के लिए ज़रूरी जानकारी साझा करती हैं जो प्रेग्नेंट हैं या प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं और थायरॉइड की समस्या से जूझ रही हैं। यह ब्लॉग उस वीडियो का सार है और इसका उद्देश्य है — गर्भावस्था में थायरॉइड के प्रभाव के प्रति जागरूकता फैलाना। 

 

थायरॉइड ग्रंथि की भूमिका और इसका प्रभाव महिलाओं पर 

गले के निचले हिस्से में स्थित थायरॉइड ग्रंथि हमारे शरीर के कई ज़रूरी कार्यों को नियंत्रित करती है। यह ग्रंथि थायरॉक्सिन नामक हार्मोन बनाती है, जो मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा स्तर और विकास को नियंत्रित करता है। थायरॉइड की समस्याएं दो प्रकार की होती हैं: 

  • हाइपोथायरॉइडिज्म: जब शरीर में थायरॉक्सिन की कमी हो जाती है। इसके लक्षणों में वज़न बढ़ना, थकान, ठंड ज्यादा लगना और सबसे ज़रूरी — गर्भधारण में कठिनाई शामिल है। यदि प्रेगनेंसी के दौरान यह समस्या हो तो शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है। 
  • हाइपरथायरॉइडिज्म: इसमें थायरॉक्सिन हार्मोन की मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है। इससे दिल की धड़कन तेज होना, नींद की कमी और शिशु का वज़न कम होना जैसे लक्षण होते हैं। इसके कारण समय से पहले प्रसव (प्रीटर्म डिलीवरी) का भी ख़तरा होता है। 

 

थायरॉइड और प्रेगनेंसी का संबंध क्या है? 

अगर कोई महिला प्रेगनेंसी प्लान कर रही है और उसने थायरॉइड (TSH) टेस्ट नहीं कराया है, तो वह अनजाने में अपने बच्चे को जोखिम में डाल सकती है। डॉ. जगदाळे बताती हैं कि गर्भधारण के पहले दो सप्ताह के भीतर ही बच्चे का मस्तिष्क विकसित होना शुरू हो जाता है। इस समय यदि माँ को थायरॉइड की समस्या हो तो शिशु के मानसिक विकास पर बुरा असर हो सकता है। 

इसलिए, गर्भधारण से पहले या गर्भावस्था की शुरुआत में ही TSH टेस्ट कराना अनिवार्य है ताकि समय पर इलाज हो सके। 

प्रेगनेंसी में थायरॉइड की अनदेखी से क्या हो सकते हैं खतरे? 

यदि गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड की समस्या अनजानी या अनुपचारित रह जाती है, तो कई जटिलताएं हो सकती हैं: 

  • गर्भपात या अबॉर्शन का जोखिम 
  • शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में रुकावट 
  • समय से पहले डिलीवरी (प्रीटर्म डिलीवरी) 
  • माँ में खून की कमी (एनीमिया) 
  • ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना (हाई बीपी) 

इसलिए, गर्भावस्था के शुरुआती दौर में ही थायरॉइड की पहचान और इलाज बेहद ज़रूरी है। 

 

थायरॉइड से जुड़ी प्रेगनेंसी की जटिलताओं से कैसे बचें? 

डॉ. गौरी जगदाळे की सलाह अनुसार जरूरी कदम: 

  1. गर्भधारण से पहले या पहले तिमाही में TSH टेस्ट कराएं। 
  1. यदि थायरॉइड डायग्नोस होता है तो डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं (जैसे – लेवोथायरॉक्सिन) समय पर और नियमित लें। 
  1. खानपान में बदलाव करें: 
  1. अपने भोजन में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करें। 
  1. हरी सब्ज़ियां, दूध और अंडे को अपने डाइट में शामिल करें, जो थायरॉइड और शिशु के विकास में मदद करते हैं। 

इन उपायों से गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं से बचा जा सकता है और एक स्वस्थ गर्भधारण सुनिश्चित किया जा सकता है। 

डॉ. जगदाळे यह स्पष्ट करती हैं कि गर्भावस्था में थायरॉइड की समस्या कोई डरने वाली बात नहीं है। समय पर जांच, सही दवाएं और संतुलित आहार — इन सबके ज़रिए एक स्वस्थ, सुरक्षित और आनंददायक प्रेगनेंसी संभव है।